Krishna Janmashtami Kab Hai कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो हर साल श्रावण मास के अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
यह त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है।
इस त्योहार के दौरान लोग अपने घरों में पूजा करते हैं और मंदिरों में उमड़ते हैं। भगवान कृष्ण की मूर्ति पर फूल, चादर आदि चढ़ाई जाती है और उसे भोग, प्रसाद आदि चढ़ाया जाता है।
इस त्योहार के दौरान लोग भजन की धुन पर नाचते हुए भगवान कृष्ण की कथाएं सुनते हैं और उन्हें याद करते हैं।
इस त्योहार के दौरान लोग मिठाई बनाते हैं और उसे दूसरे लोगों को भी बाँटते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म के अवसर पर लोग दही-हांडी भी तोड़ते हैं जो एक प्रसिद्ध परंपरा है।
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 में शनिवार, 16 अगस्त को मनाई जाएगी।
यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में, अष्टमी तिथि 16 अगस्त को रात 10:15 बजे से शुरू होगी और 17 अगस्त को रात 12:30 बजे तक समाप्त होगी।
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व:
- यह भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं।
- यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- इस दिन लोग व्रत रखते हैं, भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और रात भर जागते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है:
- लोग अपने घरों को सजाते हैं, मंदिरों में जाते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।
- कई जगहों पर, लोग रासलीला का आयोजन करते हैं, जो भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतीक है।
- लोग मिठाइयाँ और अन्य व्यंजन बनाते हैं और उन्हें अपने परिवार और दोस्तों के साथ बांटते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त:
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
- अष्टमी तिथि आरंभ: 16 अगस्त 2025 को सुबह 10:15 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 17 अगस्त 2025 को सुबह 12:30 बजे
- निशीथ काल (मध्यरात्रि पूजा का समय): 16 अगस्त की रात 11:55 बजे से 12:40 बजे तक
- यह समय भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
ध्यान दें:
- उपवास और पूजा का पालन निशीथ काल तक किया जाता है।
- इस दौरान भगवान कृष्ण को दूध, दही, मक्खन, और तुलसी के पत्ते अर्पित करना शुभ माना जाता है।
आप अपने क्षेत्र के पंचांग के अनुसार मुहूर्त की पुष्टि जरूर कर लें। 🙏✨
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Krishna Janmashtami kyu banate hai
कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव भगवान कृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी के दौरान भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और उनके जन्म स्थान वृंदावन में उत्सव मनाए जाते हैं। इस उत्सव के दौरान मंदिरों में भजन की धुन पर नाच-गाने का आयोजन किया जाता है और लोग भगवान कृष्ण की कथाओं को सुनते हैं।
इस उत्सव का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू दही-हांडी तोड़ने का होता है जो एक प्रसिद्ध परंपरा है। इस परंपरा में, बाल गोपाल के भांडों में दही छिपाई जाती है जिसे तोड़ने के लिए लोग एक टॉवल या पट्टा लगाते हैं। इसके बाद उन्हें उठाकर ऊँची जगहों पर लटकाया जाता है ताकि युवा लोग उसे टूटने के लिए जुट सकें।
Krishna Janmashtami besasta
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मदिन को मनाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण के लीला व जीवन को याद करते हैं।
इस दिन लोगों ने मंदिरों और घरों में श्रीकृष्ण भगवान की मूर्ति रखी और इसे सजाया जाता है। विभिन्न प्रकार के भोजन, मिठाई और फल इस दिन खाए जाते हैं। इसके अलावा, भजन, कथा, आरती और पूजा के दौरान धार्मिक ग्रंथों से उद्धरण प्रस्तुत किए जाते हैं।
इस दिन विभिन्न रासलीला के आयोजन किए जाते हैं जो कि उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में बहुत लोकप्रिय होते हैं। इनमें लोग माखन चोरी के खेल में भी भाग लेते हैं। युवाओं के बीच श्रीकृष्ण की याद में झूमने का भाव अत्यंत उत्साहजनक होता है।
Krishna Janmashtami History
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन को ध्यान में रखते हुए मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास के अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार का उल्लेख पहली बार स्कंद पुराण में मिलता है।
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्वपूर्ण इतिहास है, जिसके अनुसार, महाभारत काल में कंस नाम के राजा विदर्भ का शासक था। कंस अपनी बहन देवकी का विवाह विवाहित होने के बाद, उसके चित्रित सावधानियों के कारण, उसने उन्हें उसके द्वारा उन्हें मृत्युदंड से खतरे में डालने के लिए बंद करवाया।
देवकी ने अपने सारे संज्ञान कृष्ण के जन्म के बाद व्यक्त किए। उनके जन्म के दिन, विष्णु भगवान ने उनकी माँ यशोदा के घर जन्म लिया था। इस दिन को याद करते हुए, हिंदू लोग भगवान कृष्ण के जन्मदिन की स्मृति में कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं।
जन्माष्टमी पर्व पर हिन्दी में निबंध
जन्माष्टमी पर्व भारतीय हिंदू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण भारतीय इतिहास में एक महान व्यक्तित्व हैं जो महाभारत काल में जन्मे थे।
जन्माष्टमी पर्व का अर्थ होता है ‘जन्म’ और ‘अष्टमी’ जो कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग घर-घर जाकर मक्खन मिश्रित मिठाई बनाते हैं और भगवान कृष्ण की प्रतिमा की पूजा करते हैं। इस दिन विशेष रूप से मक्खन का दही (मिश्रण) भी बनाया जाता है, क्योंकि भगवान कृष्ण नामक बालक ने इसे चुराकर खाया था।
जन्माष्टमी पर्व के दौरान लोग भगवान कृष्ण की कथाएं सुनते हैं और उनके जीवन से लेने देने वाले मूल्यों को समझने का प्रयास करते हैं। जन्माष्टमी के दौरान मंदिरों में भजन-कीर्तन किया जाता है और विशेष प्रसाद बांटा जाता हैं।
People also ask (FAQ)
1.कृष्ण जन्माष्टमी पर क्या लिखें?
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है जो पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व श्री कृष्ण के जन्मदिन को ध्यान में रखते हुए मनाया जाता है। इस दिन लोग भजन-कीर्तन करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और बच्चों को खुश करने के लिए मिठाई व सब्जी बनाते हैं।
श्री कृष्ण का जन्म वृंदावन में हुआ था जिसे मनाने के लिए लोग वृंदावन में जाते हैं और उन्हें यहां का अनुभव करने का मौका मिलता है। इस दिन लोग मक्के की रोटी, मटर पनीर व खीर आदि विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाते हैं। अधिकतर लोग इस दिन व्रत रखते हैं और रात में जन्माष्टमी का विशेष पूजन करते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के दौरान भगवान श्री कृष्ण की जीवनी के बारे में बताया जाता है जिससे लोग उन्हें और उनके जीवन को समझने में सक्षम होते हैं। इस दिन लोग उनकी पूजा करते हैं और उन्हें बाल रूप में भी दर्शन कराते हैं।
2. कृष्ण जन्माष्टमी पर्व क्यों मनाया जाता है?
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन को मनाया जाता है। इस दिन को भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाने के पीछे कई कारण हैं।
प्राचीन समय में, भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का आवतार माना जाता था। इसलिए, भगवान कृष्ण का जन्मदिन वैष्णवों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
इस त्योहार के दौरान भगवान कृष्ण के जन्मस्थानों, मंदिरों और घरों में पूजा की जाती है। लोग इस दिन पूजा, भजन, कीर्तन, ध्यान और जप आदि करते हैं। इसके अलावा, भोग, प्रसाद, फल और नटखट के रूप में खाने-पीने के आदर्श भी तैयार किए जाते हैं।
इस त्योहार के दौरान रासलीला भी निर्विवाद रूप से प्रदर्शित की जाती है, जो भगवान कृष्ण और उसकी प्रिय गोपियों के बीच का प्यार और भक्ति भरा रोमांटिक नृत्य होता है।
3. जन्माष्टमी पर निबंध कैसे लिखें?
जन्माष्टमी पर्व एक प्रसिद्ध हिंदू उत्सव है जो पूरे भारत में मनाया जाता है। इस उत्सव को कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व के अवसर पर लोग कृष्णजी की जन्म तिथि की खुशी में पूजा-अर्चना, भक्ति गीतों के गान, रासलीला का आयोजन और विभिन्न प्रकार के भोजन का आनंद लेते हैं।
जन्माष्टमी पर्व पर निबंध लिखने के लिए निम्नलिखित विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है:
- पर्व का इतिहास और महत्व – जन्माष्टमी पर्व की शुरुआत कैसे हुई और इसका महत्व क्या है, इस पर विस्तार से लिखा जा सकता है।
- भगवान कृष्ण के जीवन का वर्णन – भगवान कृष्ण के जीवन के अहम मोड़ों जैसे बाल्य अवस्था, वृद्धावस्था, रासलीला, महाभारत युद्ध आदि का वर्णन किया जा सकता है।
- जन्माष्टमी पर रस्मों और परंपराओं का वर्णन – इस पर्व के अवसर पर कौन-कौन सी रस्में और परंपराएं मनाई जाती हैं.
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